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शनिवार, 30 दिसंबर 2017
लाठिया बाजार में बिकने लगी हैं
शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017
मैं हालातों का शायर हूँ......
शनिवार, 23 दिसंबर 2017
Jisko rakshak samajh rahe the wo hi....
जब कुर्सी का नशा जनमानस की समस्याओ को भूलने का कारण बन जाये, गरीबों और किसानो की स्थिति जस की तस बनी रहने लगे, देश की होनहार युवा जनता बेरोजगारी का दंश झेल रही हो और पूरे देश में जातिवाद के नाम पर गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हों तो ये लिखना कलम की मजबूरी हो जाती है !
जिसको रक्षक समझ रहे थे ,वो ही तन पे आरी निकले !
शेर खाल में घूम रहे थे , गधे की हिस्सेदारी निकले !
बातें बहुत गरीबों की थी जिनके मुँह में वर्षों से ,
कुर्सी मिलते ही सब भूले , चोर चोर की यारी निकले !
सुलग रहा है देश ये सारा जातिवाद के झगड़ों में ,
कुछ है पोषक पिछड़ों के तो कुछ हैं शामिल अगड़ों में ,
देश की बातें करने वाले भावों के व्यापारी निकले ,
कुर्सी मिलते ही सब भूले , चोर-2 की यारी निकले !
कृषक के बच्चे तरस रहे हैं , सूखी रोटी खाने को ,
नेता जी को समय नहीं है उनका दर्द मिटाने को !
हर गरीब को काम मिलेगा , भाषण सब सरकारी निकले,
कुर्सी मिलते ही सब भूले , चोर-2 की यारी निकले !
कल तक बात गरीबों की जो करते थे चौराहों पर,
हाथ मिलाते, पैर दबाते मिलते थे जो राहों पर ,
बदल गए वो समय बदलते, लाइलाज बीमारी निकले,
कुर्सी मिलते ही सब भूले , चोर-2 की यारी निकले !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017
सोमवार, 18 दिसंबर 2017
रविवार, 17 दिसंबर 2017
Patrika news : shiv allahabadi
http://www.patrikanews.net/poetry-stick-is-selling-in-the-market/
हड्डियां कमजोर सी दिखने लगी हैं !
शनिवार, 16 दिसंबर 2017
कवि शिव इलाहाबादी : एक व्यंग्य ek vyangya : kavi shiv allahabadi
एक व्यंग्य :-
चंद सिक्कों की जदों में बह गए वो सूरमा,
जो कभी इंसानियत की बात कर थकते न थे !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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रविवार, 10 दिसंबर 2017
तू मुझे रोज बहारों में मिला करता था
तू मुझे रोज बहारों मे मिला करता था !
आसमानों के सितारों में मिला करता था !
जब से रूठा है तू मैं हो गया हूँ तनहा सा !
तू मुझे मौजे किनारों में मिला करता था !
कवि शिव इलाहाबादी
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बुधवार, 6 दिसंबर 2017
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
Main batata raha tum chhupane lagi: kavi shiv allahabadi
आप सभी को समर्पित प्रेम पर चंद पंक्तियाँ :-
मैं बताता रहा तुम छुपाने लगी ,
इस तरह कुछ मोहब्बत निभाने लगी !
राधिका के समर्पण की तस्वीर बन ,
चैन की मेरी बंशी चुराने लगी !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
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गुरुवार, 23 नवंबर 2017
चाँद से चेहरे को समर्पित: कवि शिव इलाहाबादी
किसी चाँद से चेहरे को समर्पित :-
ऐ चाँद तेरा दीदार करूँ तो,
कैसे ये बतला मुझको !
हर सुबह इसी उम्मीद में हो,
कब शाम ढले और तू आये !
कवि शिव इलाहाबादी
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मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017
Ek mahila ke rape aur janta ke mook darshak bane rahne par likhi meri rachna
उत्तर प्रदेश में एक महिला के साथ हुई अमानवीय घटना और जनता के मूक दर्शन पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ :-
जब मानवता मूक बने, सज्जनता विष का वमन करे !
तब फिर कैसे कोई रावण सीता माँ को नमन करे!
वहशी के अपराध कृत्य जब मौन सम्बल पाते हों ,
तो फिर कैसे कोई अबला दुष्ट दुशासन दमन करे !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017
वर्तमान सामाजिक परिदृश्य :kavi shiv allahabadi
वर्तमान समाजिक परिदृश्य पर मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ :-
गीत नहीं ,संगीत नहीं है ,भाई बहन में प्रीत नहीं है !
माँ की ममता छली जा रही ,सत्य की दिखती जीत नहीं है !
तड़प रही दिखती मानवता, दया धरम की रीत नहीं है !
कहने को तो लोग हजारों , पर सच्चा कोई मीत नहीं है !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
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मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017
Ek sher : kavi shiv allahabadi
तेरा रूप , तेरी शरारत,तेरी मुस्कान,
यही तो हैं मेरी संपदा !
फिर तेरे लबों की हंसी के बगैर
ये दुनिया खूबसूरत कैसे हो सकती थी !
शनिवार, 14 अक्तूबर 2017
एक शेर :- मै उमीदों के शहर में
एक शेर :-
मै उमीदों के शहर में अब भी हूँ ठहरा नहीं ,
आज भी तू ही मेरी मंजिल भी है और राह भी !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
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रविवार, 8 अक्तूबर 2017
करवा चौथ पर विशेष : सभी पति और उनकी पत्नियों को समर्पित :-
करवा चौथ पर विशेष : सभी पति और उनकी पत्नियों को समर्पित :-
दामिनी बनके दामन सजायेगी वो ,
चाँद पर भी बिजलियाँ गिराएगी वो !
तेरी लम्बी उमर की करेगी दुआ ,
सोचती तुझको चंदा बुलाएगी वो !
कवि शिव इलाहाबादी
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शनिवार, 7 अक्तूबर 2017
दिल की आवाज : एक शेर
धड़कते दिल मगर टूटी हुई साँसो की आहट हूँ।
मैं छूछे बरतनो मे करछुलों की खट-खटाहट हूँ।
है मेरे साथ चलने की तुम्हें चाहत बहुत बेशक,
मैं बुझती आग मे चिंगारियों की सुगबुगाहट हूँ।
बुधवार, 4 अक्तूबर 2017
Ek sher : kavi shiv allahabadi
एक शेर :-
दिल तोड़ के दरिया का पता पूछता है !
वो मुझसे मेरी मोहब्बत की खता पूछता है !
देखता रहता है छुप छुप के झरोखों से अक्सर !
लूटकर मुझको अब मेरी ही दासता पूछता है !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
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रविवार, 24 सितंबर 2017
सम्भले सम्भले कदम फिर
एक शेर आपके हवाले :-
सम्भले- सम्भले कदम फिर बहकने लगे ,
दिल के भीतर परिंदे चहकने लगे !
वो बहारों को मौसम बताने लगी ,
उनकी खुशबू से हम भी महकने लगे !
कवि शिव इलाहाबादी
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बुधवार, 20 सितंबर 2017
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो ! ब्राह्मण पर गीत | ब्राह्मण की कविता |
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो !
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो
परशुराम के वंशज हो
इस दुनिया के आदि पुरोधा
इन्सानो मे अंशज हो !
किसी मे इतनी शक्ति नही है
जो तुमको ललकार सके !
उनकी ये औकात नही के
वो तुमको धिक्कार सके !
रावण के दरबार मे ललकारे जो
तुम वो अंगद हो !
सारी सीमा तोड़ दे जग की ,
शक्ति की तुम वो हद हो !
तुम कमजोर धरा मे होगे
जब अनेकता आयेगी !
वर्ना तेरे बुद्धी-बल से,
हर बाधा कतरायेगी !
इस दुनिया के शून्य तुम्ही हो
तुम जलधारा अविरल हो !
आर्यभट्ट हो, तुम सुभाष हो,
तुम्ही आज हो, तुम कल हो !
कवि शिव इलाहाबादी
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शनिवार, 9 सितंबर 2017
अपने मित्रों की प्रगति पर :kavi shiv allahabadi
उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर अपने सभी मित्रों को समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ:-
सिलसिला यूँ ही चलता रहे जीत का ,
रौशनी प्रीत की तुम बिखेरा करो !
ये जमाना तुम्हारे ही गुण गायेगा ,
बस अँधेरे में यूँ ही सवेरा करो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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सोमवार, 4 सितंबर 2017
Kavita chor kavi
मौलिक रचनाकारों की ओर से कविता चोर कवियों को समर्पित मेरी ये रचना :-
अगर तुम्हारी नीयत खोटी है तो इतना याद रखो!
चोरी की कविता पढने से कोई कवि नही होता है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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गुरुवार, 24 अगस्त 2017
तीन तलाक पर मेरी पंक्तियाँ :कवि शिव इलाहाबादी
तीन तलाक :सुप्रीमकोर्ट द्वारा तीन तलाक पर दिये गए फैसले के स्वागत मे मेरी पंक्तियाँ
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
मुस्लिम माओं और बहनो के जीवन से खौफ मिटाया है।
अब नहीं कोई मुस्लिम महिला हर रोज छली यूँ जाएगी
छुप-2 के आँसू पोछेगी, घुट-2 के वक्त बितायेगी ।
मै फिर से धन्य कहूँ उसको जिसने यह दर्द मिटाया है।
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
अब तीन तलाको की फहरिस्तें उम्मीदें है कम होंगी ।
उन माँ बहनो की आँखे न पहले जैसे नम होंगी।
कोई भी अब फोन पे यूँ ही न तलाक दे पाएगा।
रोल्ड गोल्ड के चक्कर मे न सोना को ठुकराएगा।
अब उनकी इज्जत सरेराह नीलाम करी न जाएगी।
बेशर्म हलाला से खुशियाँ काफ़ूर करी न जाएगी।
जिसने ये कुत्सित रीति रची,उनको भी राह दिखाया है।
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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बुधवार, 23 अगस्त 2017
एक शेर : kavi shiv allahabadi
एक शेर :-
दिल का तेरे शागिर्द हूँ,
मैं बेवफा नहीं !
बदलेगा जमाना मगर,
मैं वो ही रहूंगा !
कवि शिव इलाहाबादी
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सोमवार, 21 अगस्त 2017
मुजफ्फर नगर खतौली रेल हादसा
मुजफ्फर नगर रेल हादसा :-
न ही काफिया , न रदीफ़ : केवल भाव
न ही ड्राइवर, न सिग्नल ,बस किस्मत की बलिहारी हूँ !
अपनी बीती किसे सुनाऊँ ,,मैं ' प्रभु ' की लाचारी हूँ !
ठीक किया यूँ ट्रैक कि जीवन की पटरी ही उखड गयी ,
मिलने की चाहत में निकले थे जिससे वो बिछड़ गयी !
' प्रभु 'की लापरवाही ने तस्वीरें कुछ यूँ रच डाली ,
भारत की जीवन रेखा ज्यों तकदीरों में सिमट गयी !
कवि शिव इलाहाबादी
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हामिद अंसारी के बेतुके बयान पर मेरी पंक्तियाँ !
विलंब के लिए क्षमा के साथ हामिद अंसारी के बेतुके बयान पर मेरी पंक्तियाँ:-
हामिद अंसारी को शायद ये न ज्ञान रहा होगा,
संविधान की बातों से शायद अंजान रहा होगा।
ऊँचे पद पर बैठ के ऐसी ओछी बात नहीं करते,
बुद्धि बुढ़ापा ग्रसित रही या मन शैतान रहा होगा।
जाने किसने इस पुतले को उस कुर्सी पर बिठलाया,
संविधान और ज्ञानहीन को ज्ञान पुरुष सा दिखलाया।
इससे तो लगता है के वो भी बेईमान रहा होगा,
संविधान की बातों से शायद अंजान रहा होगा।
देश का खतरा आज तलक जो कभी भाँप न पाया हो ।
राष्ट्र को संबोधित करके न राष्ट्रप्रेम सिखलाया हो।
तो फिर उसको राष्ट्रधर्म का कैसे ज्ञान रहा होगा?
संविधान की बातों से शायद अंजान रहा होगा।
इस अवाम मे जो कलाम हो बस उसकी ही पूजा हो।
हामिद अंसारी सा उस पद पर न कोई दूजा हो ।
सुबह का चोला ओढ़ के आया, शायद शाम रहा होगा,
संविधान की बातों से शायद अंजान रहा होगा।
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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रविवार, 6 अगस्त 2017
यूँ ही करता रहूँ मै तेरी बंदगी
तुम्हारे अनुरोध पर चाँद से चेहरे के लिये लिखी मेरी ये रचना :-
जिन्द्गी तेरे संग तेरे संग है खुशी !
गम भुलाने को काफी है तेरी हँसी !
चाँद से तेरे चेहरे को दिल मे बसा !
यूँ ही करता रहूँ मैं तेरी बंदगी !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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राखी बँधाता चल : कवि शिव इलाहाबादी
प्रेम की नयी धुन सजाता चल,
हर रिश्ता बखूबी निभाता चल !
मत भूल कि कल है राखी का त्यौहार,
जो भी मिले उससे राखी बँधाता चल !
कवि शिव इलाहाबादी
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शनिवार, 5 अगस्त 2017
मित्रता दिवस पर विशेष: Friendship day special
मित्रता दिवस पर आप सभी को समर्पित मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ:-
सफर की राह मुश्किल भी,
वो क्षण मे खोल देता है !
सभी डर भाग जाता है,
वो जिस क्षण बोल देता है !
नही होती है दिल मे स्वार्थ की,
जिसके कोई भी बू !
वो सच्चा मित्र जीवन मे,
मधुरता घोल देता है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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बुधवार, 2 अगस्त 2017
एक शहीद सैनिक के परिवार का दर्द :-
एक शहीद सैनिक के परिवार का दर्द :-
कैसे कह दूँ कि तुम मेरे,
अपने हो अब आ जाओ!
ये आंखे अब भी बेसबरी,
से तुमको ही तकती हैं !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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गुरुवार, 27 जुलाई 2017
शुक्रवार, 14 जुलाई 2017
आखिर गरीबी जातिगत क्यो : आखिर ये दोहरे चरित्र की राजनीति कहाँ तक जायज है ?
गरीबी जाति बता कर नही आती ! फिर गरीबी का जातिगत आकलन कितना जायज है ! आपकी राय अपेक्षित है :-
आतंकी का धर्म नही है
फिर गरीब की जाती(जाति) क्यो ?
इस दुनिया को नर्क बनाने
की दोहरी परिपाटी क्यों ?
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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मंगलवार, 11 जुलाई 2017
वादे के टूट जाने से टूट रहे लोगों के लिये लिखी मेरी ये पंक्तियाँ
मत हो परेशाँ,गर वादा टूट गया :-
देखिये ये पंक्तियाँ:-
जो चीजे टूट जायें तो ,
करें उनका भरोशा क्या !
शमा बुझने लगे गर तो,
बहारें क्या, झरोखा क्या ?
रही एक बात वादे की,
तो उस पर क्या खफा होना?
जो जीवन ही नही अपना
तो दूजे का भरोशा क्या ?
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शनिवार, 8 जुलाई 2017
एक बेबाक और बिजली के समान शोहदों पर बरसने वाली महिला का समर्थन करती मेरी पंक्तियाँ :-
बहादुर और शोहदों पर बिजली की तरह बरसने वाली महिलाओं पर कुछ पंक्तियाँ:-
तेरे साहस से शायद अब तक अंजान रहा होगा !
बाते है बेबाक तेरी वो न पहचान रहा होगा !
बोल गया वो सोच के अबला जो कुछ भी मन मे आया!
लेकिन आ टपकेगी ज्वाला ये न भान रहा होगा !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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गुरुवार, 6 जुलाई 2017
किसी के घूरने और प्यार मे अंतर कर पाने पर लिखी ये पंक्तियाँ-कवि शिव इलाहाबादी
किसी के घूरने और प्यार मे अंतर कर पाने पर लिखी ये पंक्तियाँ:-
भला हो नजरों का तेरी
जो झुककर सच बता पायी !
नही तुम यूँ किसी के घूरने को,
प्यार कह देती !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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सोमवार, 3 जुलाई 2017
सामाजिक दरिन्दो से खुद को बचाने की कोशिश करती लड़कियों को समर्पित :-
सामाजिक दरिन्दो से खुद को बचाने की कोशिश करती लड़कियों को समर्पित :-
बचाना ही नही काफी, उन्हे दुत्कारना होगा !
जो खूनी हैं दरिन्दे उनको भी अब मारना होगा !
नही आसान होगा अब महज लक्ष्मी बने रहना !
कि बनके लक्ष्मीबाई उनको यूँ धिक्कारना होगा !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शनिवार, 1 जुलाई 2017
माँ की याद :कवि शिव इलाहाबादी
*** माँ की याद ***
अक्सर सिहर उठता है ये दिल,
जब याद आती है माँ की;
और उसके साथ बिताए हर लम्हे,
मेरी धडकनों मे धड़कने लगते हैं।
तो
छा जाती है जिंदगी मे एक अजीब सी खामोशी,
और ज़िंदगी लगने लगती है,
बिल्कुल नीरस और वीरान।
याद आता है वो समय
जब रात के घने अंधेरों में,
माँ का आँचल होता था,
सबसे महफूज जगह।
और बीमार होने पर माँ के पास बैठना,
लगता था सबसे सुखद और प्यारा।
मगर अफसोस!
कि अब हम नही कर पायेंगे,
उस सुखद क्षण का फिर कभी एहसास ।
क्योकि अब हम उसकी दुनिया का हिस्सा नही हैं।
वो छोडकर चली गयी है हमे,
इन वीरानियों में
अकेला तड़पने के लिए।
वो भी एक ऐसी जगह
जिसकी लोग बातें तो करते हैं,
पर उसे कभी किसी ने देखा नही।
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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गुरुवार, 29 जून 2017
प्यार करने वालों को आगाह करती मेरी ये पंक्तियाँ :
प्यार करने वालों को आगाह करती मेरी ये पंक्तियाँ :-
काश तुम सम्भल जाते तो अच्छा था !
किसी से यूँ दिल न लगाते तो अच्छा था !
हमने बहुतो को इस दलदल मे गिरते देखा है !
तुम इससे बाहर निकल आते तो अच्छा था !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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एक सपा नेता द्वारा सेना के जवानो पर बलात्कार का आरोप लगाने पर जनता की आवाज को दर्शाती मेरी ये पंक्तियाँ :-
सेना के जवानो पर बलात्कार का आरोप लगाने वाले एक सपा नेता के खिलाफ जनता की आवाज को प्रदर्शित करती मेरी ये पंक्तियाँ:-
जहरीले इक सर्प ने फिर
आज दिया फुफकार !
सेना पर कर विष वमन,
किया है फिर प्रतिकार !
इसके फन को दो कुचल,
और लो दाँत निकाल !
फिर भी फुफकारे अगर,
खींच लो इसकी खाल !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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सोमवार, 26 जून 2017
आज सच्चाई से तू पीछा छुडाता क्यूँ है ? कवि शिव इलाहाबादी
आज लिखी एक गजल से एक मतला और एक शेर :-
आज सच्चाई से तू पीछा,
छुडाता क्यों है ?
प्यार जब करता है तो
इतना छुपाता क्यो है ?
जमाने मे बडी दुश्वारियाँ है
ये सच है !
मगर अंजाना सा फिर रिश्ता
निभाता क्यूँ है ?
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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"कविता क्या है " कवि शिव इलाहाबादी
सुबह से कविता विषय पर हिंदी दर्शन वाट्सअप ग्रुप मे सभी की अनेकानेक चर्चा-परिचर्चा सुनने के बाद दो पंक्तियाँ मस्तिष्क मे आयी जिन्हे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ :-
कविता क्या है ?
थोडे से शब्दों मे जब
कोई बात कहीजाए अविरल,
दिल को छूने वाले उस
लेखन को कविता कहते है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शनिवार, 24 जून 2017
कवि शिव इलाहाबादी(kavi shiv allahabadi) दिल की बात जुबाँ पा जाये
एक शेर:-
दिल की बात जुबाँ पा जाये,
तो समझो दिल सच्चा था !
प्यार अगर हद से बढ जाये,
मान लो के दिल बच्चा था !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !
अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !
अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ,
के गालों को तेरे कमल लिख रहा हूँ !
जो चेहरे पे तेरे लबों की हँसी है !
उन्हे देखकर आजकल लिख रहा हूँ !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शुक्रवार, 23 जून 2017
मोहब्बत पर एक नवीन रचना :कवि शिव इलाहाबादी(kavi shiv allahabadi)
अपनी एक नवीन रचना से कुछ पंक्तियाँ:-
मोहब्बत कर नही सकता
जो तनहाई जिया न हो !
जहर का जख्म क्या जाने
जहर जिसने पिया न हो !
समय के साथ अक्सर लोग
सब कुछ भूल जाते हैं !
वो कीमत समझेगा क्या रोशनी की,
जो' दिया'(दीपक) न हो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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बुधवार, 21 जून 2017
प्यार मे गुमनामी पर एक शेर : कवि शिव इलाहाबादी (kavi shiv allahabadi )
अपने एक मित्र के शेर के लिये लिखा एक शेर :-
काश तुम नाम भी लिखती
तो उन तक बात तो जाती !
भला होता अगर चाहत तेरी
मंजिल को जा पाती !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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योग दिवस yog diwas :-kavi shiv allahabadi (कवि शिव इलाहाबादी)
योग दिवस पर दो व्यंग पंक्तियाँ :-
योग से टेन्शन कम होता है ,
इसमे है संदेह नही !
मगर और भी अच्छा होता,
गर नीयत भी सुधर जाती !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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रविवार, 18 जून 2017
पिता के लिये लिखी कविता -कवि kavi shiv शिव allahabadi इलाहाबादी
पिता की छाँव रूपी सुरक्षा कवच को बताती मेरी ये रचना :-
कि उसके छाँव मे हरदम सुकूँ
महसूस करता हूँ !
पिता के साथ मै दरिया मे भी,
महफूज रहता हूँ !
नही चिंता सताती न मुझे,
कोई फिकर होती !
कि अपनी जिन्द्गी का मै मजा,
भरपूर करता हूँ !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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गुरुवार, 15 जून 2017
बेवफाई पर एक शेर :कवि शिव इलाहाबादी (kavi shiv allahabadi )
एक शेर :-
बडी ही साफगोई से किनारा कर लिया तुमने !
अगर मै बेवफा होता तो यूँ तकलीफ़ न होती !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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एक शेर:कवि शिव इलाहाबादी( Kavi shiv allahabadi )
एक शेर :-
भुलाकर के कहाँ जायेगा,
मुझसे दूर वो साकी !
कि उसकी साँस ही मेरी,
वफाओ की दिवानी है !
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रविवार, 4 जून 2017
आतंक के साये मे क्रिकेट :कवि शिव इलाहाबादी-kavi shiv allahabadi
आतंक के साये मे पाकिस्तान के साथ खेल आयोजित करने पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ:-
नही बेशक हमे नफरत,किसी दुश्मन खिलाडी से,
मगर एतराज है के खेल वो चैनो अमन से हो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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गुरुवार, 1 जून 2017
गौहत्या पर प्रहार करती मेरी ये रचना
कुछ समय पूर्व असहिश्नुता का रोना रोने वाले काँग्रेसी नेताओ द्वारा आज की जा रही गौहत्या और कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा उस समय असहिश्नुता के समर्थन मे मेडल लौटाने पर एवं आज उनके मौन साधना पर प्रहार करती मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ:-
बुद्धिजीवियों की जो टोली
थी वो जाने कहाँ गयी !
आसमान है निगल गया
या कि धरती ये समा गयी !
जब आज सरे चौराहे पर,
गायों को काटा जाता है !
खून,मांस के कतरे को ,
आपस मे बाँटा जाता है !
तो फिर वो दिखती नही मुझे,
आमिर की बोली कहाँ गयी !
मेडल लौटाने वाले उन,
दुष्टो की टोली कहाँ गयी !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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सोमवार, 29 मई 2017
एक शेर:कवि शिव इलाहाबादी(ek sher :kavi shiv allahabadi )
एक शेर:-
मै आफताब हूँ ,मुझे बुझाने का खौफ न दिखा !
जमाने मे जीना सीख लिया है मैने,मुझे इसके वसूल न सिखा !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शनिवार, 27 मई 2017
दर्द के शेर :कवि शिव इलाहाबादी(dard ke sher:kavi shiv allahabadi )
एक शेर :-
मै वो नही हूँ जो आपने बताया है !
बस यही दर्द आज दिल मे उभर आया है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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