मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

Ek mahila ke rape aur janta ke mook darshak bane rahne par likhi meri rachna

उत्तर प्रदेश में एक महिला के साथ हुई अमानवीय घटना और जनता के मूक दर्शन पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ :-

जब मानवता मूक बने, सज्जनता विष का वमन करे !
तब फिर कैसे कोई  रावण सीता माँ को नमन करे!

वहशी के अपराध कृत्य जब मौन सम्बल पाते हों ,
तो फिर कैसे कोई अबला दुष्ट दुशासन दमन करे !

कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
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मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

वर्तमान सामाजिक परिदृश्य :kavi shiv allahabadi

वर्तमान समाजिक परिदृश्य  पर मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ :-

गीत नहीं ,संगीत नहीं है ,भाई बहन में प्रीत नहीं है !
माँ की ममता छली जा रही ,सत्य की दिखती जीत नहीं है !

तड़प रही दिखती मानवता, दया धरम की रीत नहीं है !
कहने को तो लोग हजारों , पर सच्चा  कोई मीत नहीं है !

कवि शिव इलाहाबादी
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मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

Ek sher : kavi shiv allahabadi

तेरा रूप , तेरी शरारत,तेरी मुस्कान,
यही तो हैं मेरी संपदा !
फिर तेरे लबों  की हंसी  के बगैर
ये दुनिया खूबसूरत कैसे हो सकती थी !

शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

एक शेर :- मै उमीदों के शहर में

एक शेर :-

मै उमीदों  के शहर में अब भी हूँ ठहरा  नहीं  ,
आज भी तू ही मेरी मंजिल भी है और राह भी !

कवि शिव इलाहाबादी
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रविवार, 8 अक्तूबर 2017

करवा चौथ पर विशेष : सभी पति और उनकी पत्नियों को समर्पित :-

करवा चौथ पर विशेष :  सभी पति और उनकी पत्नियों  को समर्पित :-

दामिनी बनके दामन सजायेगी वो ,
चाँद पर भी बिजलियाँ  गिराएगी  वो !
तेरी लम्बी उमर की करेगी दुआ   ,
सोचती तुझको चंदा बुलाएगी वो !

कवि शिव इलाहाबादी
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शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

दिल की आवाज : एक शेर

धड़कते दिल मगर टूटी हुई साँसो की आहट हूँ।
मैं छूछे बरतनो मे करछुलों की खट-खटाहट हूँ।
है मेरे साथ चलने की तुम्हें चाहत बहुत बेशक,

मैं बुझती आग मे चिंगारियों की सुगबुगाहट हूँ।

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

Ek sher : kavi shiv allahabadi

एक शेर :-

दिल तोड़ के दरिया का पता पूछता है !
वो मुझसे मेरी मोहब्बत की खता  पूछता है !
देखता रहता है छुप छुप के झरोखों से अक्सर !
लूटकर  मुझको अब मेरी ही  दासता पूछता है !

कवि शिव इलाहाबादी
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