एक शेर :-
दिल तोड़ के दरिया का पता पूछता है !
वो मुझसे मेरी मोहब्बत की खता पूछता है !
देखता रहता है छुप छुप के झरोखों से अक्सर !
लूटकर मुझको अब मेरी ही दासता पूछता है !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
मोब.7398328084
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