मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

Ek mahila ke rape aur janta ke mook darshak bane rahne par likhi meri rachna

उत्तर प्रदेश में एक महिला के साथ हुई अमानवीय घटना और जनता के मूक दर्शन पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ :-

जब मानवता मूक बने, सज्जनता विष का वमन करे !
तब फिर कैसे कोई  रावण सीता माँ को नमन करे!

वहशी के अपराध कृत्य जब मौन सम्बल पाते हों ,
तो फिर कैसे कोई अबला दुष्ट दुशासन दमन करे !

कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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ब्लॉग- www.kavishivallahabadi.blogspot.com
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