एक शेर आपके हवाले :-
सम्भले- सम्भले कदम फिर बहकने लगे ,
दिल के भीतर परिंदे चहकने लगे !
वो बहारों को मौसम बताने लगी ,
उनकी खुशबू से हम भी महकने लगे !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
मोब.7398328084
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