उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर अपने सभी मित्रों को समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ:-
सिलसिला यूँ ही चलता रहे जीत का ,
रौशनी प्रीत की तुम बिखेरा करो !
ये जमाना तुम्हारे ही गुण गायेगा ,
बस अँधेरे में यूँ ही सवेरा करो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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