पिता की छाँव रूपी सुरक्षा कवच को बताती मेरी ये रचना :-
कि उसके छाँव मे हरदम सुकूँ
महसूस करता हूँ !
पिता के साथ मै दरिया मे भी,
महफूज रहता हूँ !
नही चिंता सताती न मुझे,
कोई फिकर होती !
कि अपनी जिन्द्गी का मै मजा,
भरपूर करता हूँ !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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