सेना के जवानो पर बलात्कार का आरोप लगाने वाले एक सपा नेता के खिलाफ जनता की आवाज को प्रदर्शित करती मेरी ये पंक्तियाँ:-
जहरीले इक सर्प ने फिर
आज दिया फुफकार !
सेना पर कर विष वमन,
किया है फिर प्रतिकार !
इसके फन को दो कुचल,
और लो दाँत निकाल !
फिर भी फुफकारे अगर,
खींच लो इसकी खाल !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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