आज लिखी एक गजल से एक मतला और एक शेर :-
आज सच्चाई से तू पीछा,
छुडाता क्यों है ?
प्यार जब करता है तो
इतना छुपाता क्यो है ?
जमाने मे बडी दुश्वारियाँ है
ये सच है !
मगर अंजाना सा फिर रिश्ता
निभाता क्यूँ है ?
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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