शनिवार, 24 जून 2017

अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !

अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !

अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ,
के गालों को तेरे कमल लिख रहा हूँ !

जो चेहरे पे तेरे लबों की हँसी है !
उन्हे देखकर आजकल लिख रहा हूँ !

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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