अपनी एक नवीन रचना से कुछ पंक्तियाँ:-
मोहब्बत कर नही सकता
जो तनहाई जिया न हो !
जहर का जख्म क्या जाने
जहर जिसने पिया न हो !
समय के साथ अक्सर लोग
सब कुछ भूल जाते हैं !
वो कीमत समझेगा क्या रोशनी की,
जो' दिया'(दीपक) न हो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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