रविवार, 6 अगस्त 2017

यूँ ही करता रहूँ मै तेरी बंदगी

तुम्हारे अनुरोध पर चाँद से चेहरे के लिये लिखी मेरी ये रचना :-

जिन्द्गी तेरे संग तेरे संग है खुशी !
गम भुलाने को काफी है तेरी हँसी !
चाँद से तेरे चेहरे को  दिल मे बसा !
यूँ ही करता रहूँ मैं तेरी बंदगी !

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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