एक शहीद सैनिक के परिवार का दर्द :-
कैसे कह दूँ कि तुम मेरे,
अपने हो अब आ जाओ!
ये आंखे अब भी बेसबरी,
से तुमको ही तकती हैं !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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