बहादुर और शोहदों पर बिजली की तरह बरसने वाली महिलाओं पर कुछ पंक्तियाँ:-
तेरे साहस से शायद अब तक अंजान रहा होगा !
बाते है बेबाक तेरी वो न पहचान रहा होगा !
बोल गया वो सोच के अबला जो कुछ भी मन मे आया!
लेकिन आ टपकेगी ज्वाला ये न भान रहा होगा !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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