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बुधवार, 20 सितंबर 2017

हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो ! ब्राह्मण पर गीत | ब्राह्मण की कविता |




हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो 
परशुराम के वंशज हो 
इस दुनिया के आदि पुरोधा
इन्सानो मे अंशज हो !

किसी मे इतनी शक्ति नही है 
जो तुमको ललकार सके !
उनकी ये औकात नही के
वो तुमको धिक्कार सके !

रावण के दरबार मे ललकारे जो
तुम वो अंगद हो !
सारी सीमा तोड़ दे जग की ,
शक्ति की तुम वो हद हो !

तुम कमजोर धरा मे होगे
जब अनेकता आयेगी !
वर्ना तेरे बुद्धी-बल से,
हर बाधा कतरायेगी !

इस दुनिया के शून्य तुम्ही हो
तुम जलधारा अविरल हो !
आर्यभट्ट हो, तुम सुभाष हो,
तुम्ही आज हो, तुम कल हो !


कवि शिव इलाहाबादी
7398328084