तू मुझे रोज बहारों मे मिला करता था !
आसमानों के सितारों में मिला करता था !
जब से रूठा है तू मैं हो गया हूँ तनहा सा !
तू मुझे मौजे किनारों में मिला करता था !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
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