रविवार, 10 दिसंबर 2017

तू मुझे रोज बहारों में मिला करता था

तू मुझे रोज  बहारों मे मिला करता था !
आसमानों के सितारों में मिला करता था !
जब से रूठा  है तू मैं हो गया हूँ तनहा  सा !
तू मुझे मौजे किनारों में मिला करता था !

कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
मोब.7398328084
ब्लॉग www.kavishivallahabadi.blogspot.com
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