गुरुवार, 6 जुलाई 2017

किसी के घूरने और प्यार मे अंतर कर पाने पर लिखी ये पंक्तियाँ-कवि शिव इलाहाबादी

किसी के घूरने और प्यार मे अंतर कर पाने पर लिखी ये पंक्तियाँ:-

भला हो नजरों का तेरी
जो झुककर सच बता पायी !

नही तुम यूँ किसी के घूरने को,
प्यार कह देती !

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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सोमवार, 3 जुलाई 2017

सामाजिक दरिन्दो से खुद को बचाने की कोशिश करती लड़कियों को समर्पित :-

सामाजिक दरिन्दो से खुद को बचाने की कोशिश करती लड़कियों को समर्पित :-

बचाना ही नही काफी, उन्हे दुत्कारना होगा !
जो खूनी हैं दरिन्दे उनको भी अब मारना होगा !

नही आसान होगा अब महज लक्ष्मी बने रहना !
कि बनके लक्ष्मीबाई उनको यूँ धिक्कारना होगा !

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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शनिवार, 1 जुलाई 2017

माँ की याद :कवि शिव इलाहाबादी

*** माँ की याद ***

अक्सर सिहर उठता है ये दिल,
जब याद आती है माँ की;
और उसके साथ बिताए हर लम्हे,
मेरी धडकनों मे धड़कने लगते हैं।

तो
छा जाती है जिंदगी मे एक अजीब सी खामोशी,
और ज़िंदगी लगने लगती है,
बिल्कुल नीरस और वीरान।

याद आता है वो समय
जब रात के घने अंधेरों में,
माँ का आँचल होता था,
सबसे महफूज जगह।
और बीमार होने पर माँ के पास बैठना,
लगता था सबसे सुखद और प्यारा।

मगर अफसोस!
कि अब हम नही कर पायेंगे,
उस सुखद क्षण का फिर कभी एहसास ।
क्योकि अब हम उसकी दुनिया का हिस्सा नही हैं।
वो छोडकर चली गयी है हमे,
इन वीरानियों में
अकेला तड़पने के लिए।
वो भी एक ऐसी जगह
जिसकी लोग बातें तो करते हैं,
पर उसे कभी किसी ने देखा नही।

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गुरुवार, 29 जून 2017

प्यार करने वालों को आगाह करती मेरी ये पंक्तियाँ :

प्यार करने वालों को आगाह करती मेरी ये पंक्तियाँ :-

काश तुम सम्भल जाते तो अच्छा था !
किसी से यूँ दिल न लगाते तो अच्छा था !
हमने बहुतो को इस दलदल मे गिरते देखा है !
तुम इससे बाहर निकल आते तो अच्छा था !

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एक सपा नेता द्वारा सेना के जवानो पर बलात्कार का आरोप लगाने पर जनता की आवाज को दर्शाती मेरी ये पंक्तियाँ :-

सेना के जवानो पर बलात्कार का आरोप लगाने वाले एक सपा नेता के खिलाफ जनता की आवाज को प्रदर्शित करती मेरी ये पंक्तियाँ:-

जहरीले इक सर्प ने फिर
आज दिया फुफकार !

सेना पर कर विष वमन,
किया है फिर प्रतिकार !

इसके फन को दो कुचल,
और लो दाँत निकाल !

फिर भी फुफकारे अगर,
खींच लो इसकी खाल !


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सोमवार, 26 जून 2017

आज सच्चाई से तू पीछा छुडाता क्यूँ है ? कवि शिव इलाहाबादी

आज लिखी एक गजल से एक मतला और एक शेर :-

आज सच्चाई से तू पीछा,
छुडाता क्यों है ?
प्यार जब करता है तो
इतना छुपाता क्यो है ?

जमाने मे बडी दुश्वारियाँ है
ये सच है !
मगर अंजाना सा फिर रिश्ता
निभाता क्यूँ है ?


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"कविता क्या है " कवि शिव इलाहाबादी

सुबह से कविता विषय पर हिंदी दर्शन वाट्सअप ग्रुप मे सभी की अनेकानेक चर्चा-परिचर्चा सुनने के बाद दो पंक्तियाँ मस्तिष्क मे आयी जिन्हे मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ :-

कविता क्या है ?

थोडे से शब्दों मे जब
कोई बात कहीजाए अविरल,

दिल को छूने वाले उस
लेखन को कविता कहते है !

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शनिवार, 24 जून 2017

कवि शिव इलाहाबादी(kavi shiv allahabadi) दिल की बात जुबाँ पा जाये

एक शेर:-

दिल की बात जुबाँ पा जाये,
तो समझो दिल सच्चा था !

प्यार अगर हद से बढ जाये,
मान लो के दिल बच्चा था !


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अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !

अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ !

अदाओं को तेरी गजल लिख रहा हूँ,
के गालों को तेरे कमल लिख रहा हूँ !

जो चेहरे पे तेरे लबों की हँसी है !
उन्हे देखकर आजकल लिख रहा हूँ !

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शुक्रवार, 23 जून 2017

मोहब्बत पर एक नवीन रचना :कवि शिव इलाहाबादी(kavi shiv allahabadi)

अपनी एक नवीन रचना से कुछ पंक्तियाँ:-

मोहब्बत कर नही सकता
जो तनहाई जिया न हो !

जहर का जख्म क्या जाने
जहर जिसने पिया न हो !

समय के साथ अक्सर लोग
सब कुछ भूल जाते हैं !

वो कीमत समझेगा क्या रोशनी की,
जो' दिया'(दीपक)  न हो !

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बुधवार, 21 जून 2017

प्यार मे गुमनामी पर एक शेर : कवि शिव इलाहाबादी (kavi shiv allahabadi )

अपने एक मित्र के शेर के लिये लिखा एक शेर :-

काश तुम नाम भी लिखती
तो उन तक बात तो जाती !

भला होता अगर चाहत तेरी
मंजिल को जा पाती !

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योग दिवस yog diwas :-kavi shiv allahabadi (कवि शिव इलाहाबादी)

योग दिवस पर दो व्यंग पंक्तियाँ :-

योग से टेन्शन कम होता है ,
इसमे है संदेह नही !

मगर और भी अच्छा होता,
गर नीयत भी सुधर जाती !


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रविवार, 18 जून 2017

पिता के लिये लिखी कविता -कवि kavi shiv शिव allahabadi इलाहाबादी

पिता की छाँव रूपी सुरक्षा कवच को बताती मेरी ये रचना :-

कि उसके छाँव मे हरदम सुकूँ
महसूस करता हूँ  !

पिता के साथ मै दरिया मे भी,
महफूज रहता हूँ !

नही चिंता सताती न मुझे,
कोई फिकर होती !

कि अपनी जिन्द्गी का मै मजा,
भरपूर करता हूँ !


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गुरुवार, 15 जून 2017

कवि शिव इलाहाबादी फोन नंबर फोटो कवि सम्मेलन

बेवफाई पर एक शेर :कवि शिव इलाहाबादी (kavi shiv allahabadi )

एक शेर :-

बडी ही साफगोई से किनारा कर लिया तुमने !
अगर मै बेवफा होता तो यूँ तकलीफ़ न होती !

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एक शेर:कवि शिव इलाहाबादी( Kavi shiv allahabadi )

एक शेर :-

भुलाकर के कहाँ जायेगा,
मुझसे दूर वो साकी !

कि उसकी साँस ही मेरी,
वफाओ की दिवानी है !

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रविवार, 4 जून 2017

आतंक के साये मे क्रिकेट :कवि शिव इलाहाबादी-kavi shiv allahabadi

आतंक के साये मे पाकिस्तान के साथ खेल आयोजित करने पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ:-

नही बेशक हमे नफरत,किसी दुश्मन  खिलाडी से,
मगर एतराज है के खेल वो चैनो अमन से हो !


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गुरुवार, 1 जून 2017

गौहत्या पर प्रहार करती मेरी ये रचना

कुछ समय पूर्व असहिश्नुता का रोना रोने वाले काँग्रेसी नेताओ द्वारा आज की जा रही गौहत्या और कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा उस समय असहिश्नुता के समर्थन मे मेडल लौटाने पर एवं आज उनके मौन साधना पर प्रहार करती मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ:-

बुद्धिजीवियों की जो टोली
थी वो जाने कहाँ गयी !
आसमान है निगल गया
या कि धरती ये समा गयी !

जब आज सरे चौराहे पर,
गायों को काटा जाता है !
खून,मांस के कतरे को ,
आपस मे बाँटा जाता है !

तो फिर वो दिखती नही मुझे,
आमिर की बोली कहाँ गयी !
मेडल लौटाने वाले उन,
दुष्टो की टोली कहाँ गयी !

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सोमवार, 29 मई 2017

एक शेर:कवि शिव इलाहाबादी(ek sher :kavi shiv allahabadi )

एक शेर:-

मै आफताब हूँ ,मुझे बुझाने का खौफ न दिखा !
जमाने मे जीना सीख लिया है मैने,मुझे इसके वसूल न सिखा !

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शनिवार, 27 मई 2017

दर्द के शेर :कवि शिव इलाहाबादी(dard ke sher:kavi shiv allahabadi )

एक शेर :-

मै वो नही हूँ जो आपने बताया है !
बस यही दर्द आज दिल मे उभर आया है !

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