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मंगलवार, 19 दिसंबर 2017
सोमवार, 18 दिसंबर 2017
रविवार, 17 दिसंबर 2017
Patrika news : shiv allahabadi
http://www.patrikanews.net/poetry-stick-is-selling-in-the-market/
हड्डियां कमजोर सी दिखने लगी हैं !
शनिवार, 16 दिसंबर 2017
कवि शिव इलाहाबादी : एक व्यंग्य ek vyangya : kavi shiv allahabadi
एक व्यंग्य :-
चंद सिक्कों की जदों में बह गए वो सूरमा,
जो कभी इंसानियत की बात कर थकते न थे !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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रविवार, 10 दिसंबर 2017
तू मुझे रोज बहारों में मिला करता था
तू मुझे रोज बहारों मे मिला करता था !
आसमानों के सितारों में मिला करता था !
जब से रूठा है तू मैं हो गया हूँ तनहा सा !
तू मुझे मौजे किनारों में मिला करता था !
कवि शिव इलाहाबादी
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बुधवार, 6 दिसंबर 2017
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
Main batata raha tum chhupane lagi: kavi shiv allahabadi
आप सभी को समर्पित प्रेम पर चंद पंक्तियाँ :-
मैं बताता रहा तुम छुपाने लगी ,
इस तरह कुछ मोहब्बत निभाने लगी !
राधिका के समर्पण की तस्वीर बन ,
चैन की मेरी बंशी चुराने लगी !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
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गुरुवार, 23 नवंबर 2017
चाँद से चेहरे को समर्पित: कवि शिव इलाहाबादी
किसी चाँद से चेहरे को समर्पित :-
ऐ चाँद तेरा दीदार करूँ तो,
कैसे ये बतला मुझको !
हर सुबह इसी उम्मीद में हो,
कब शाम ढले और तू आये !
कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017
Ek mahila ke rape aur janta ke mook darshak bane rahne par likhi meri rachna
उत्तर प्रदेश में एक महिला के साथ हुई अमानवीय घटना और जनता के मूक दर्शन पर लिखी मेरी ये पंक्तियाँ :-
जब मानवता मूक बने, सज्जनता विष का वमन करे !
तब फिर कैसे कोई रावण सीता माँ को नमन करे!
वहशी के अपराध कृत्य जब मौन सम्बल पाते हों ,
तो फिर कैसे कोई अबला दुष्ट दुशासन दमन करे !
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
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मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017
वर्तमान सामाजिक परिदृश्य :kavi shiv allahabadi
वर्तमान समाजिक परिदृश्य पर मेरी रचना से कुछ पंक्तियाँ :-
गीत नहीं ,संगीत नहीं है ,भाई बहन में प्रीत नहीं है !
माँ की ममता छली जा रही ,सत्य की दिखती जीत नहीं है !
तड़प रही दिखती मानवता, दया धरम की रीत नहीं है !
कहने को तो लोग हजारों , पर सच्चा कोई मीत नहीं है !
कवि शिव इलाहाबादी
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मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017
Ek sher : kavi shiv allahabadi
तेरा रूप , तेरी शरारत,तेरी मुस्कान,
यही तो हैं मेरी संपदा !
फिर तेरे लबों की हंसी के बगैर
ये दुनिया खूबसूरत कैसे हो सकती थी !
शनिवार, 14 अक्तूबर 2017
एक शेर :- मै उमीदों के शहर में
एक शेर :-
मै उमीदों के शहर में अब भी हूँ ठहरा नहीं ,
आज भी तू ही मेरी मंजिल भी है और राह भी !
कवि शिव इलाहाबादी
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रविवार, 8 अक्तूबर 2017
करवा चौथ पर विशेष : सभी पति और उनकी पत्नियों को समर्पित :-
करवा चौथ पर विशेष : सभी पति और उनकी पत्नियों को समर्पित :-
दामिनी बनके दामन सजायेगी वो ,
चाँद पर भी बिजलियाँ गिराएगी वो !
तेरी लम्बी उमर की करेगी दुआ ,
सोचती तुझको चंदा बुलाएगी वो !
कवि शिव इलाहाबादी
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शनिवार, 7 अक्तूबर 2017
दिल की आवाज : एक शेर
धड़कते दिल मगर टूटी हुई साँसो की आहट हूँ।
मैं छूछे बरतनो मे करछुलों की खट-खटाहट हूँ।
है मेरे साथ चलने की तुम्हें चाहत बहुत बेशक,
मैं बुझती आग मे चिंगारियों की सुगबुगाहट हूँ।
बुधवार, 4 अक्तूबर 2017
Ek sher : kavi shiv allahabadi
एक शेर :-
दिल तोड़ के दरिया का पता पूछता है !
वो मुझसे मेरी मोहब्बत की खता पूछता है !
देखता रहता है छुप छुप के झरोखों से अक्सर !
लूटकर मुझको अब मेरी ही दासता पूछता है !
कवि शिव इलाहाबादी
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रविवार, 24 सितंबर 2017
सम्भले सम्भले कदम फिर
एक शेर आपके हवाले :-
सम्भले- सम्भले कदम फिर बहकने लगे ,
दिल के भीतर परिंदे चहकने लगे !
वो बहारों को मौसम बताने लगी ,
उनकी खुशबू से हम भी महकने लगे !
कवि शिव इलाहाबादी
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बुधवार, 20 सितंबर 2017
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो ! ब्राह्मण पर गीत | ब्राह्मण की कविता |
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो !
हे ब्राह्मण तुम बाहुबली हो
परशुराम के वंशज हो
इस दुनिया के आदि पुरोधा
इन्सानो मे अंशज हो !
किसी मे इतनी शक्ति नही है
जो तुमको ललकार सके !
उनकी ये औकात नही के
वो तुमको धिक्कार सके !
रावण के दरबार मे ललकारे जो
तुम वो अंगद हो !
सारी सीमा तोड़ दे जग की ,
शक्ति की तुम वो हद हो !
तुम कमजोर धरा मे होगे
जब अनेकता आयेगी !
वर्ना तेरे बुद्धी-बल से,
हर बाधा कतरायेगी !
इस दुनिया के शून्य तुम्ही हो
तुम जलधारा अविरल हो !
आर्यभट्ट हो, तुम सुभाष हो,
तुम्ही आज हो, तुम कल हो !
कवि शिव इलाहाबादी
7398328084
शनिवार, 9 सितंबर 2017
अपने मित्रों की प्रगति पर :kavi shiv allahabadi
उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर अपने सभी मित्रों को समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ:-
सिलसिला यूँ ही चलता रहे जीत का ,
रौशनी प्रीत की तुम बिखेरा करो !
ये जमाना तुम्हारे ही गुण गायेगा ,
बस अँधेरे में यूँ ही सवेरा करो !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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सोमवार, 4 सितंबर 2017
Kavita chor kavi
मौलिक रचनाकारों की ओर से कविता चोर कवियों को समर्पित मेरी ये रचना :-
अगर तुम्हारी नीयत खोटी है तो इतना याद रखो!
चोरी की कविता पढने से कोई कवि नही होता है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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