मजदूर दिवस के मौके पर मेरे लेखन
के प्रारम्भिक काल मे मजदूर की संवेदनाओं को अभिव्यक्त करते हुए लिखी मेरी ये रचना:-
मै
मज़दूर हूँ।
दर्द से कराहते
निज दिल की व्यथाओं से
चूर हूँ।
मैं
मजदूर हूँ।
रोता हूँ, चिल्लाता हूँ।
गम के गीत
गाता हूँ।
मन है मेरा सहमा सा,
क्योकि मैं
बेकसूर हूँ।
मैं
मजदूर हूँ।
सुबह थकाती,शाम थकाती,
दुनिया हम पर रौब दिखाती।
इस दुनिया की सब रस्मों से,
मै तो कोशों दूर हूँ।
मैं
मजदूर हूँ।
कोई चढ़ता घोड़ा-गाड़ी,
स्कूटर कोई करे सवारी।
कोई करता हवा-हवाई,
लेकिन मै मजबूर हूँ।
मैं मजदूर हूँ।
मेरा एक दुपहिया वाहन,
जेठ,कुवार हो या फिर सावन।
हर मौसम मे वही है अपना,
हर सुविधा से दूर हूँ।
मैं
मजदूर हूँ।
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
Mob-7398328084
All rights Reserved@Kavishivallahabadi
ब्लॉग-www.kavishivallahabadi.blogspot.com
Mob-7398328084
All rights Reserved@Kavishivallahabadi
ब्लॉग-www.kavishivallahabadi.blogspot.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें