आपको समर्पित मेरी ये पंक्तियाँ :-
उसके चेहरे पर रौब दिखाई देता है !
वो दुश्मन को खुद खौफ दिखाई देता है !
न समता उसकी कभी किसी से हो सकती !
वो सागर है खुद मौज दिखाई देता है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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