आरक्षण की राजनीति: इंसानियत की दुश्मन:shiv allahabadi
देश मे चल रही जातिगत आरक्षण रूपी देश और
समाज को बाटने वाली साजिश का विरोध करती मेरी ये रचना:
विशेष-किसी भी व्यक्ति की भावना को ठेस पहुँचाना
इस रचना का उद्देश्य नही है। यदि किसी भी व्यक्ति को जातिगत आरक्षण से लगाव हो तो कृपया
इसे न पढ़े।
क्या आज इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन
भारत सरकार है?
जो देश को जाति के नाम पर बाँटकर,
करती पलटवार है।
अगर सोंचो,
तो यह साफ नजर आता है।
कि एक तरफ है उपेक्षित झोपड़ी,
और दूसरी तरफ एक सुंदर महल,
तम्बू की शरण पाता है।
आज के नेता उस फूस की झोपड़ी को जलाकर,
तमाशा देख रहे हैं।
और महलों को तम्बू के नीचे ढककर,
राजनीति की रोटी सेक रहे हैं।
उन्होने झोपड़ी और महल को,
जाति के नाम पर बाट रखा है।
और दलित होने के कारण महल को,
अनावश्यक ढाक रखा है।
उन्होने देश मे आरक्षण लगा दिया है,
और जाति के नाम पर लोगों को
संरक्षण दे दिया है।
मगर समझ यह नही आता कि इन सब के पीछे,
सामान्यों का क्या गुनाह है?
जो उनके विरूद्ध ही सारे देश का प्रवाह
है।
आज उनकी पढ़ाई वंचित,
और रोटियाँ छीनी जा रही है।
और इस नाटक के नाम पर देश की,
तरक्की की जा रही है।
क्या देश की तरक्की आरक्षण की गाड़ी पर
बैठे,
बुद्धीहीनों से होती है।
जिसे एक पहिये वाली,
भारत सरकार ढोती है।
क्या सामान्यों ने देश को,
स्वतंत्र नही कराया था?
या आजादी की लपटों मे,
खुद को नही जलाया था।
आज देश मे चारो तरफ,
हिंसा की आग जल रही है।
और सरकार महज अपने फायदे के लिए,
घड़ियाली आँसू बहाकर हाथ मल रही है।
क्या महात्मा गांधी ने कोई बड़ा गुनाह किया
था?
जो उन्होने रामराज्य का सपना लेकर,
अंग्रेजों से संघर्ष किया था।
लेकिन स्वार्थी तत्वों ने अपने स्वार्थ के
लिए,
उनके सपनों को चकनाचूर कर डाला।
और विश्व समुदाय के सामने पूरे विश्व को,
मजबूर कर डाला।
अब तो इस देश रूपी गाड़ी के पहिये भी,
कमजोर दिखने लगे हैं।
जो कभी हुआ करते थे मजबूत आधार स्तंभ,
आज वही स्तंभ ही डिगने लगे हैं।
अब तो इस रामराज्य के सपने को,
राम ही साकार बनाएँ।
खुदा करे कि महात्मा गाँधी एक बार फिर,
इस देश मे आयें।
कवि शिव इलाहाबादी
'यश'
कवि एवं लेखक
मो.- 7398328084
©All Rights
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ब्लॉग-www.kavishivallahabadi.blogspot.com
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