मेरी एक नवीन रचना से कुछ पंक्तियाँ:-
मुझे अपना बनाने की ,
कसम खा के तो देखा कर !
कि जब भी हो अकेला तू ,
जरा मुसका के देखा कर !
जमाने की सभी उलझन,
तू यूँ ही भूल जायेगा !
जो दुनिया रूठ जाये तो ,
मुझे अपना के देखा कर !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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