बुधवार, 3 मई 2017

पाकिस्तानियो द्वारा भारतीय सैनिकों के सर काटे जाने पर सरकार को अपनी बातें याद दिलाती मेरी ये रचना !

वर्तमान सरकार को अपनी पुरानी कही हुई बातों को याद दिलाती मेरी ये नवीन रचना :-

कहाँ है आज वो ललकार
जो कल तक थी जोरों से !
हैं दिखती चीख अब दबती हुई सी
आज शोरों से !

तुम्ही ने कल कहा था सर कलम
करने को दुश्मन के ,
तो फिर अब क्यों ठगे से हो खडे
चोरों छिछोरों से ?

कवि शिव इलाहाबादी 'यश '
कवि एवं लेखक
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ब्लाग-www.kavishiallahabadi.blogspot.com

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