शुक्रवार, 5 मई 2017

बचपन पर कविता :कवि शिव इलाहाबादी(bachpan par kavita : Kavi shiv allahabadi )

अपने भांजे के इस अल्हड़ अन्दाज को देखकर अनायास ही ये पंक्तियाँ दिमाग में आ गयी :-

मासूमी अन्दाज बताता,
बचपन एक कहानी लिख दूँ !
खेल,खिलौने,बात में झगडे,
मैं आंखो का पानी लिख दूँ !

खुशियों का संसार समेटे,
चिंतारहित निशानी लिख दूँ !
न कोई झूठ ,न ही कोई ईर्ष्या ,
इसे ईश्वर की वाणी लिख दूँ !


कवि शिव इलाहाबादी 'यश '
कवि एवं लेखक
Mob-7398328084
All Rights Reserved@kavishiallahabadi
ब्लाग-www.kavishiallahabadi.blogspot.com

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