प्रेम पर लिखा मेरा ये नवीन मुक्तक:
तुम्हारी नींद से बोझिल,
इन्ही आंखो मे आऊँगा !
जगाकर रात भर तुमको,
तेरे सपने सजाऊँगा !
जमाना छीन न ले फिर कहीं,
मुझसे तेरी खुशबू !
सभी से मै चुराकर तुझको,
पलको मे छुपाउँगा !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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