शुक्रवार, 19 मई 2017

प्रेम पर मुक्तक :कवि शिव इलाहाबादी (prem par muktak : Kavi shiv allahabadi )

प्रेम पर लिखा मेरा ये नवीन मुक्तक:

तुम्हारी नींद से बोझिल,
इन्ही आंखो मे आऊँगा !

जगाकर रात भर तुमको,
तेरे सपने सजाऊँगा !

जमाना छीन न ले फिर कहीं,
मुझसे तेरी खुशबू !

सभी से मै चुराकर तुझको,
पलको मे छुपाउँगा !

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
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