तीन तलाक :सुप्रीमकोर्ट द्वारा तीन तलाक पर दिये गए फैसले के स्वागत मे मेरी पंक्तियाँ
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
मुस्लिम माओं और बहनो के जीवन से खौफ मिटाया है।
अब नहीं कोई मुस्लिम महिला हर रोज छली यूँ जाएगी
छुप-2 के आँसू पोछेगी, घुट-2 के वक्त बितायेगी ।
मै फिर से धन्य कहूँ उसको जिसने यह दर्द मिटाया है।
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
अब तीन तलाको की फहरिस्तें उम्मीदें है कम होंगी ।
उन माँ बहनो की आँखे न पहले जैसे नम होंगी।
कोई भी अब फोन पे यूँ ही न तलाक दे पाएगा।
रोल्ड गोल्ड के चक्कर मे न सोना को ठुकराएगा।
अब उनकी इज्जत सरेराह नीलाम करी न जाएगी।
बेशर्म हलाला से खुशियाँ काफ़ूर करी न जाएगी।
जिसने ये कुत्सित रीति रची,उनको भी राह दिखाया है।
है धन्य न्याय का वह मंदिर जिसने आदेश सुनाया है।
कवि शिव इलाहाबादी ’यश’
कवि एवं लेखक
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