मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

प्यार की गहराई पर लिखी मेरी रचना :-

चाहत की अपार गहराई को बयाँ करती मेरी ये नवीन रचना:-

तूफानों से भी टकराने का जज्बा रखता है।
वो समंदर है अपने सीने मे दरिया रखता है।
तुम मुझे गैर भी समझो तो कोई बात नहीं।
वो मुझे अपने मे समेट लेने की चाहत रखता है।

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
मो.-7398328084
All Rights Reserved@kavishivallahabadi
ब्लॉग-www.kavishivallahabadi.blogspot.com

चाहत की अपार गहराई को बयाँ करती मेरी ये नवीन रचना:-

तूफानों से भी टकराने का जज्बा रखता है।
वो समंदर है अपने सीने मे दरिया रखता है।
तुम मुझे गैर भी समझो तो कोई बात नहीं।
वो मुझे अपने मे समेट लेने की चाहत रखता है।

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
मो.-7398328084
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