सोमवार, 28 मई 2018

Fir se halaton par mujhko geet naye gadhne honge



फिर से हालातों पर मुझको गीत नए गढ़ने  होंगे !
सत्य झूँठ की जंग  छिड़ी  है युद्ध  मुझे लड़ने होंगे !
सीधे से चेहरों पर मैंने अजब मुखौटा देखा हैं  ,
कंस, दुशासन की नगरी है ,हर चेहरे पढ़ने होंगे !

कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084




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