एक शेर :
जख्म सीने में दबें हो लाख पर,
न कभी आँसू बहाना चाहिए !
दुनिया ये जालिम बड़ी बेदर्द है,
हर घड़ी बस मुस्कराना चाहिये !
कवि शिव इलाहाबादी
कवि एवं लेखक
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