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बुधवार, 11 मार्च 2020
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चाहे हो कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम या फिर किसी स्कूल अथवा कॉलेज का फंक्शन l
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शुक्रवार, 31 अगस्त 2018
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सोमवार, 9 जुलाई 2018
Aksar tera roop nikharte dekha अक्सर तेरा रूप निखरते देखा
अक्सर तेरा रूप निखरते देखा है ,
छुप छुप कुछ यूँ आज सवारते देखा है !
तेरे होकर कैसे और के हो पाते,
घुट-2 खुद को आज बिखरते देखा है !
कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
शनिवार, 16 जून 2018
सूरज me narmi si kyon hai
आज की स्थिति पर पंक्तियाँ :-अपनी राय अवश्य दें !
सूरज में नरमी सी क्यों है ,क्यों घोर निराशा छायी है !
क्यों भंवरों की गुनगुन सुन करके पंखुड़ियां घबराईं हैं ?
क्यों शेर बँधे से बैठे हैं दुश्मन को मत्था टेक रहे ,
क्यों लोग लहू के प्यासे है , क्यों नेता रोटी सेंक रहे ,
क्यों आज निराशा के संगम में चारो ओर कुहासा है ?
क्यों सागर के बाहों में रहकर के भी नाविक प्यासा है ?
क्यों सूरज की गर्मी सहकर बारिश की कोई आस नहीं,
क्यों रामराज की बातों में अब जनता को विश्वास नहीं !
क्यों बात आज समताओं की केवल कागज का फूल हुई ,
जो संविधान की बातें थी संसद के राह की धूल हुई !
क्यों जातिवाद के नाम पे प्रतिभाओं पे अत्याचार हुए,
क्यों आज हमारे ही अपने अंग्रेजों का किरदार हुए !
क्यों आज गरीबी को केवल जातों में तोला जाता है !
क्यों सत्ता की चाहत में नफरत का विष घोला जाता है !
क्या अब कोई भी राम नहीं जो समता का सममान करे,
क्या अब कोई आजाद नहीं जो जय जय हिंदुस्तान करें !
क्यों राष्ट्रगान कुछ नेताओ के मुख को हाला लगता है !
क्यों राष्ट्र की बातें भी उनको एक जहर का प्याला लगता है !
क्यों राजनीति कुछ वर्गमात्र के तुष्टिकरण का खेल हुई ,
कुर्सी पाने की चाहत में बेमेलों का भी मेल हुई !
क्या देश हमारा अब गिद्धों का यूँ आहार बन जायेगा ?
भारत माता को घायल कर वो नोच नोच कर खायेगा !
आओ अब कुर्सी से हटकर कुछ राष्ट्र नीति की बात करें !
इस देश को सच्चे अर्थों में गद्दारों से आजाद करें !
ऐ राजनीति करने वालों ये घृणित सियासत बंद करो !
धर्मों में देश को न बांटो ,न जातिवाद का द्वन्द करो !
धर्मों की आज सियासत है और जातिवाद की दूरी है !
आतंकी से न मोह करो , ये हिंदुस्तान जरूरी है !
शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
सोमवार, 4 जून 2018
गुरुवार, 31 मई 2018
Maa ki kavita माँ की कविता
जीवन का हर ताना बाना माँ होती है ,
बच्चे का संपूर्ण जमाना माँ होती है !
उसके बिना न जीवन की बगिया फलती है ,
खुशियों का संसार सुहाना माँ होती है !
राहों में हो धुप तो वो छाया होती है ,
बच्चों के हर सुख दुःख में साया होती है !
दुःखते दिल का मधुर तराना माँ होती है,
खुशियों का संसार सुहाना माँ होती है !
कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
सोमवार, 28 मई 2018
Fir se halaton par mujhko geet naye gadhne honge
फिर से हालातों पर मुझको गीत नए गढ़ने होंगे !
सत्य झूँठ की जंग छिड़ी है युद्ध मुझे लड़ने होंगे !
सीधे से चेहरों पर मैंने अजब मुखौटा देखा हैं ,
कंस, दुशासन की नगरी है ,हर चेहरे पढ़ने होंगे !
कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
शुक्रवार, 25 मई 2018
कैसे कैसे जख्म मिले हैं सीने में ?
कैसे कैसे जख्म मिले हैं सीने में,
क्या मिलता है जातिवाद को जीने में ?
कवि शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084
शनिवार, 19 मई 2018
आबों में कड़वाहट क्यों है, क्यों पुष्प पंखुड़ी बिखरी सी
आबों में कड़वाहट क्यों है ,क्यों पुष्प पंखुड़ी बिखरी सी ,
क्यों आज कली है मुरझाई जो कल होती थी निखरी सी !
क्यों माला से मोती टूटे, क्यों वन से उपवन टूट गए !
जो कल तक होते थे अपने क्यों अपनों से ही रूठ गए ?
क्यों दुनिया चाँद सितारों की तूफ़ान के जद में बिखर गयी !
क्यों जातिवाद की लपटों में सब मर्यादायें सिहर गयी !
क्या बचा धर्म के झगडे में ,क्या रखा है कड़वी वाणी में ?
क्या तुमने धर्म लिखा पाया है हवा वनस्पति पानी में ?
क्यों बाँट रहे हो नफरत तुम क्यों लहूं बहाते फिरते हो
जीवन की चंद सी साँसों को क्यों व्यर्थ गंवाते फिरते हो !
आओ कुछ ऐसा काम करें की अपनेपन में खो जाएँ ,
सबकी मर्यादा को samjhe और एक दूजे के हो जाएँ !
कुछ ऐसा गीत लिखें मिल हम कि जीवन मधुरिम हो जाए,
हम विश्व शांति के दूत बने और शांति निशा में खो जाएँ !
जीवन को मधुर बनाने को सात्विक अरमान जरूरी है !
हो विश्व शांतिमय युगों युगों, एक हिंदुस्तान जरूरी है !
शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084