श्रृंगार गीत
तुम मेरे गीत का मुख्य आधार हो
कैसे तुम बिन कथानक ये हो पाएगा
वो मिलन की घड़ी है अधूरी अभी
चांद दीदार बिन कैसे डर जाएगा
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याद है आज भी प्यार की वो घड़ी
अंक में लेके जब तुमको बैठे थे हम
टिपटिपाती हुई बूंद बारिश की थी
गंध माटी की सोंधी थी खोए थे हम
तुम अकिंचन हमारे गले लग गए
कैसे मानस पटल से वो हट पाएगा
तुम मेरे गीत का मुख्य आधार हो
कैसे तुम बिन कथानक ये हो पाएगा
अनगिनत बंदिसे थी हवाओं में भी
पर बिरह ने निकटता को पहचान दी
रीति झूठी धरी की धरी रह गई
मूर्तियां रह गई मूर्ति पाषाण की
छंद तुम संग अनूठे गढ़े प्रेम के
कैसे धूमिल अचानक वो हो पाएगा
तुम मेरे गीत का मुख्य आधार हो
कैसे तुम बिन कथानक ये हो पाएगा।
Copyright @ShivAllahabadi
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