रविवार, 5 मार्च 2017

वर्तमान समय मे प्यार की व्यावहारिकता को दिखाती मेरी ये रचना: कवि शिव इलाहाबादी (मेरे तजुर्बे पर यकीन रख..)

 


मेरे तजुर्बे पर यकीन रख तो तुझे एक सलाह दूँ,
तू मुझे प्यार दे,मै तुझे प्यार दूँ।

जिंदगी का यही फलसफा मै तुझे सिखाता हूँ।
न तू कुछ उधार रख न तो मैं उधार दूँ।
और याद रख की ज़िंदगी का बोझ,
जिंदगानी पर भारी न हो,
तू मुझे संवार दे,मै तुझे संवार दू।
खो जाये ज़िंदगी की हर परेशानी, बस तेरे दीदार से।
ऐसा तू विचार कर और ऐसा मै सुझाव दूँ।

कवि शिव इलाहाबादी "यश"
कवि एवं लेखक
Mob-7398328084
(All Rights Reseved@kavishivallahabadi)
 
 

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