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शनिवार, 16 जून 2018
सूरज me narmi si kyon hai
आज की स्थिति पर पंक्तियाँ :-अपनी राय अवश्य दें !
सूरज में नरमी सी क्यों है ,क्यों घोर निराशा छायी है !
क्यों भंवरों की गुनगुन सुन करके पंखुड़ियां घबराईं हैं ?
क्यों शेर बँधे से बैठे हैं दुश्मन को मत्था टेक रहे ,
क्यों लोग लहू के प्यासे है , क्यों नेता रोटी सेंक रहे ,
क्यों आज निराशा के संगम में चारो ओर कुहासा है ?
क्यों सागर के बाहों में रहकर के भी नाविक प्यासा है ?
क्यों सूरज की गर्मी सहकर बारिश की कोई आस नहीं,
क्यों रामराज की बातों में अब जनता को विश्वास नहीं !
क्यों बात आज समताओं की केवल कागज का फूल हुई ,
जो संविधान की बातें थी संसद के राह की धूल हुई !
क्यों जातिवाद के नाम पे प्रतिभाओं पे अत्याचार हुए,
क्यों आज हमारे ही अपने अंग्रेजों का किरदार हुए !
क्यों आज गरीबी को केवल जातों में तोला जाता है !
क्यों सत्ता की चाहत में नफरत का विष घोला जाता है !
क्या अब कोई भी राम नहीं जो समता का सममान करे,
क्या अब कोई आजाद नहीं जो जय जय हिंदुस्तान करें !
क्यों राष्ट्रगान कुछ नेताओ के मुख को हाला लगता है !
क्यों राष्ट्र की बातें भी उनको एक जहर का प्याला लगता है !
क्यों राजनीति कुछ वर्गमात्र के तुष्टिकरण का खेल हुई ,
कुर्सी पाने की चाहत में बेमेलों का भी मेल हुई !
क्या देश हमारा अब गिद्धों का यूँ आहार बन जायेगा ?
भारत माता को घायल कर वो नोच नोच कर खायेगा !
आओ अब कुर्सी से हटकर कुछ राष्ट्र नीति की बात करें !
इस देश को सच्चे अर्थों में गद्दारों से आजाद करें !
ऐ राजनीति करने वालों ये घृणित सियासत बंद करो !
धर्मों में देश को न बांटो ,न जातिवाद का द्वन्द करो !
धर्मों की आज सियासत है और जातिवाद की दूरी है !
आतंकी से न मोह करो , ये हिंदुस्तान जरूरी है !
शिव इलाहाबादी
मोब.7398328084